The Definitive Guide to प्राचीन भारत का इतिहास

भारत के इतिहास को इतिहासकरों ने अध्ययन की दृष्टि से तीन भागों में विभाजित किया – प्राचीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास, और आधुनिक इतिहास। मध्यकालीन इतिहास को पुनः दो भागों में बांटा गया है – पूर्व मध्यकालोत्तर, मध्यकाल।

बीते हुए युगों की घटनाओं के संबंध में जानकारी देने वाले साधनों को ऐतिहासिक स्रोत कहा जाता है। भारत के मध्यकालीन इतिहास की जानकारी के मुख्य स्रोत साहित्यिक ही हैं क्योंकि इस काल से संबंधित हस्तलिखित और मुद्रित सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। साहित्यिक स्रोतों में विभिन्न प्रकार की रचनाएँ उपलब्ध हैं, जिनमें ऐतिहासिक ग्रंथ, शासकों की जीवनियाँ, आत्मकथाएँ, प्रशासन संबंधी रचनाएँ, दरबारी इतिहास, साहित्यिक कृतियाँ और राजकीय पत्रादि प्रमुख हैं। मध्यकालीन भारत के प्रायः सभी राजाओं, सुल्तानों और बादशाहों ने विभिन्न भाषाओं के लेखकों, कवियों, दार्शनिकों, शास्त्रज्ञों और इतिहासकारों को प्रोत्साहन और आश्रय प्रदान किया, जिन्होंने शासकों के व्यक्तित्व और कृतित्व के साथ-साथ तत्कालीन राजनीति, प्रशासन, कला, साहित्य, कृषि, उद्योग, वाणिज्य-व्यापार, सभ्यता, दर्शन और धर्म आदि से संबंधित विवरण दिया है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोतों check here को मुख्यतः तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है- साहित्यिक स्रोत, विदेशी लेखकों और यात्रियों के वृतांत और पुरातात्त्विक स्रोत।

एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक राष्ट्र होने के कारण भारत को समय-समय पर साम्प्रदायिक तथा जातीय विद्वेष का शिकार होना पड़ा है। क्षेत्रीय असंतोष तथा विद्रोह भी हालाँकि देश के अलग-अलग हिस्सों में होते रहे हैं, पर इसकी धर्मनिरपेक्षता तथा जनतांत्रिकता, केवल १९७५-७७ को छोड़, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी, अक्षुण्ण रही है।

स्वामी दयानन्द द्वारा स्थापित आर्य समाज

दिल्ली में प्रसिद्ध लाल किला का निर्माण शाहजहाँ ने अपने रंग महल, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़वासस्व के साथ करवाया था।

हूणों का आक्रमण और गुप्त साम्राज्य का अंत

एन. डे के अनुसार, ‘‘सल्तनतकालीन लेखकों के वर्णन से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अपने स्वामी का यशगान करने और इस्लाम की विजयों के प्रति धार्मिक उत्साह के कारण सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं की ओर ध्यान नहीं देते थे।’’

‘तारीख-ए-फरिश्ता’ को ‘गुलशन-ए-इब्राहीम’ के नाम से भी जाना जाता है। इसकी रचना मुहम्मद कासिम हिंदूशाह फरिश्ता ने बीजापुर के सुल्तान इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय के सेवा में रहते हुए की थी। पूर्वी देशों के इतिहासकारों में फरिश्ता अधिक विश्वसनीय है और उसका विवरण भारत में मुस्लिम शासनकाल का सबसे प्रामाणिक स्रोत माना जाता है। फरिश्ता ने सुल्तानों और उनके राज्यों, सूफी संतों, भारत की भौगोलिक स्थिति और यहाँ की जलवायु के बारे में भी लिखा है। तारीख-ए-फरिश्ता का अंग्रेजी अनुवाद ब्रिग्स ने भारत में मुसलमानी शक्ति के विकास का इतिहास नाम से किया है।

आर्यों ने समस्त जीवन को चार आश्रमों में विभाजित किया

तुलुव वंश की स्थापना कृष्णदेव राय ने की थी

कार्यपालिका के तीन अंग हैं – राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और मंत्रिमंडल। राष्ट्रपति, जो राष्ट्र का प्रमुख है, की भूमिका अधिकतर आनुष्ठानिक ही है। उसके दायित्वों में संविधान का अभिव्यक्तिकरण, प्रस्तावित कानूनों (विधेयक) पर अपनी सहमति देना और अध्यादेश जारी करना प्रमुख हैं। वह भारतीय सेनाओं का मुख्य सेनापति भी है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को एक अप्रत्यक्ष मतदान विधि द्वारा ५ वर्षों के लिये चुना जाता है। प्रधानमन्त्री सरकार का प्रमुख है और कार्यपालिका की सारी शक्तियाँ उसी के पास होती हैं। इसका चुनाव राजनैतिक पार्टियों या गठबन्धन के द्वारा प्रत्यक्ष विधि से संसद में बहुमत प्राप्त करने पर होता है। बहुमत बने रहने की स्थिति में इसका कार्यकाल ५ वर्षों का होता है। संविधान में किसी उप-प्रधानमंत्री का प्रावधान नहीं है पर समय-समय पर इसमें फेरबदल होता रहा है। मंत्रिमंडल का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है। मंत्रिमंडल के प्रत्येक मंत्री को संसद का सदस्य होना अनिवार्य है। कार्यपालिका संसद को उत्तरदायी होती है, और प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिमण्डल लोक सभा में बहुमत के समर्थन के आधार पर ही अपने कार्यालय में बने रह सकते हैं।

वैदिक काल के दो प्रमुख महाकाव्य हैं, वाल्मीकि द्वारा रचित ‘रामायण’, वेदव्यास द्वारा रचित ‘महाभारत’।

भारतीय तटरक्षक सीमा सुरक्षा बल भारत तिब्बत सीमा पुलिस विधि प्रवर्तन:गुप्तचर विभाग

By checking this box, you confirm that you have study and so are agreeing to our phrases of use regarding the storage of the info submitted by way of this type.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *